बिना प्रकाश के चमकता चांद-कुछ लोग निश्चय ही भाग्यशाली होते हैं!
3.
सिर्फ भीतर बिना माध्यम के, बिना प्रकाश के, मात्र अनुभव से घटना घटती है।
4.
बिना प्रकाश के किसी भी रंगको महसूस नहीं किया जा सकता क्योंकि नेत्र प्रकाश को किरणों के माध्यम सेही प्रतिक्रियान्वित होते हैं.
5.
जैसे बिना प्रकाश के कोई स्थान नहीं हो सकता या बिना वायु के पूर्ण रिक्तता का होना असम्भव है उसी प्रकार बिना कर्म के रहना भी असम्भव है।
6.
बोस ने एक बंगाली निबंध, 'अदृश्य आलोक' में लिखा था, “अदृश्य प्रकाश आसानी से ईंट की दीवारों, भवनों आदि के भीतर से जा सकती है, इसलिए तार की बिना प्रकाश के माध्यम से संदेश संचारित हो सकता है.”
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बोस ने एक बंगाली निबंध, 'अदृश्य आलोक' में लिखा था, “अदृश्य प्रकाश आसानी से ईंट की दीवारों, भवनों आदि के भीतर से जा सकती है, इसलिए तार की बिना प्रकाश के माध्यम से संदेश संचारित हो सकता है.”
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बोस ने एक बंगाली निबंध, ' अदृश्य आलोक ' में लिखा था, ” अदृश्य प्रकाश आसानी से ईंट की दीवारों, भवनों आदि के भीतर से जा सकती है, इसलिए तार की बिना प्रकाश के माध्यम से संदेश संचारित हो सकता है.
9.
आँख होते हुए भी आवश्यक नहीं कि किसी विशेष परिस्थिति में ' हम ' भी ' अंधे समान ही हों, जैसे बिना प्रकाश के अँधेरे में, या जब प्रकाश कम हो-हमारी माँ ने भी एक दिन सुबह सवेरे सांप को रस्सी समझ उठा लिया,,, किन्तु छूने से ' मन की बत्ती जल गयी ', चिपचिपा पा उसे तुरंत छोड़ दिया!...